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पहाड़ में नेतृत्व

 उत्तराखंड में चुनाव नजदीक है पहले उपचुनाव और फिर अगले साल विधानसभा चुनाव। पलायन बेरोजगारी और संस्कृति, हिंदुत्व जैसे मुद्दे पहाड़ में उछाले जाने वाले हैं, केंद्रीय नेतृत्व के भरोसे दोनों मुख्य पार्टियों चुनाव लड़ने वाली हैं और उत्तराखंड पर अब वे मुद्दे थोपे जाने वाले हैं जो कभी उत्तराखंड के हैं ही नहीं, जैसे हिंदू-मुसलमान, संस्कृति, राष्ट्रवाद इत्यादि।उत्तराखंड हिंदू बहुल एक शांतिप्रिय प्रांत है, हिंदू-मुसलमान जैसे शब्द हमारे लिए नहीं है, ये तो बस दिल्ली का चुनाव जीतने का एक फार्मूला हैै।  राष्ट्रवाद की बात करें तो आज हर एक पहाड़ी अपने बच्चे को फ़ौज में भेजना चाहता है और यही हर बच्चे का वहां सपना है। रही बात पलायन और संस्कृति की, चुनाव प्रचार में योगी आदित्यनाथ, राहुल गांधी आने वाले हैं और पलायन का मतलब उत्तर प्रदेश बहुत अच्छे से जानता है। संस्कृति का पाठ हमें RSS भाजपा के जरिए पढ़ाने वाला है, आपको जानकर हैरानी होगी RSS और भाजपा के लोग खुद कुमाऊनी-गढ़वाली बोलना तक नहीं जानते, चाहे कांग्रेस के लोग ही क्यों ना हो।मैं किसी पहाड़ी नेता को नहीं जानता जिसने आज तक कभी पहाड़ी भाषाओं ...
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परिचय

यह ब्लॉकपेज मुख्य रूप से इसलिए बनाया गया है ताकि  पहाड़ के वे तमाम जमीनी मुद्दे उठाए जा सकें जो बड़ी राजनीतिक पार्टियों की बड़े-बड़े मुद्दों के बीच में कहीं गुम हो चुके हैं। उत्तराखंड को बने 21 साल होने को है, लेकिन उस पहाड़ में पहाड़ी और पहाड़ियों की क्या दशा है? मुख्य रूप से मैं यह इस ब्लॉग पेज के माध्यम से दर्शाना चाहता हूं। पहाड़ की स्थिति को सबके सामने लाने के लिए मैं 2016 से प्रयासरत हूं।  पहले मैं उन छोटे-छोटे तमाम मुद्दों को फेसबुक के जरिए उठाया करता था लेकिन शायद फेसबुक पर उतने गंभीर लोग नहीं होते जो मेरी बातों को गंभीरता से ले सके व पढ़ सकें, साथ ही मुझे मानसिक रूप से राजनीतिक घृणा का भी सामना करना पड़ा था।  यह ब्लॉक पेज उन लोगों को समर्पित है जो पहाड़ के मुद्दों को समझना चाहते हैं तथा वहां की दशा को बदलना चाहते हैं।🙏